लोकालोक दर्शन

धर्म की संस्थापना के लिये श्रीविष्णु हर महायुग में दश अवतार लेते हैं,जिनमें अन्तिम तो महायुग के अन्त में आते

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हिन्दुओं के लिए अतिमहत्वपूर्ण जानकारी

‘एको ब्रह्म द्वितीयो नास्ति’। दो लिंग : नर और नारी । दो पक्ष : शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष। दो

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दत्तात्रेय के २४ गुरु कौन

दत्तात्रेयजी ने कहा- मैंने जीवन में चौबीस शिक्षा गुरु बनायें- मेरे जीवन का पहला गुरु हैं पृथ्वी, यदु महाराज! मैंने

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गीले कपड़ों में क्यों करनी चाहिए धार्मिक स्थलों की परिक्रमा

कभी आपने सोचा है कि प्राचीन मंदिरों में कुंआ या कोई जलाशय क्यों होता है? कभी इस बात पर विचार

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पत्नी वामांगी क्यों कहलाती है?

शास्त्रों में पत्नी को वामंगी कहा गया है, जिसका अर्थ होता है बाएं अंग का अधिकारी। इसलिए पुरुष के शरीर

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मृत्यु से डरें नहीं, सौभाग्यवती है मृत्यु

मृत्यु का विवाह काल से हुआ है। यह सौभाग्यवती है। इसकी भी आयु निर्धारित है।अतः यह भी गलतकाम करने से

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मुझे श्री कृष्ण ही चाहिए

(श्री अर्जुन द्वारा श्री कृष्ण का चयन क्यों?) विराट नगर में श्री अर्जुन संध्या वन्दन कर अभी आसन पर ही

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हिन्दू जीवन पद्धति – भाग २

***( भोजन संविभाग )*** सनातनहिन्दूधर्म में भोजन का भी संविभाग और विभेद विस्तार के साथ किया गयाहै।सर्वमन्ने प्रतिष्ठितम्,सर्वमन्न- मयं जगत्

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हिन्दू जीवन पद्धति

जो व्यक्ति अपने चौबीस घण्टे की जिन्दगी को साध लेता है वह सफलहो जाता है,क्योंकि इसी चौबीस घण्टेमें क्रम पूर्वक

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मन, बुद्धि, चित्त, प्राण, तन्मात्राओं तथा इन्द्रियों में अंतर और इनका सम्बन्ध

नए नवेले अध्यात्म की ओर आने वाले लोगों को लगता है कि मन की शक्ति सबसे बड़ी है, जबकि ऐसा

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