माँ सरस्वती की कृपा का प्रतीक बसंतपंचमी
*पुनि बंदउँ सारद सुरसरिता। जुगल पुनीत मनोहर चरिता॥ मज्जन पान पाप हर एका। कहत सुनत एक हर अबिबेका॥1॥ भावार्थ:-फिर मैं
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