विजयदशमी पूजन के शुभ मुहूर्त

दशहरा वर्ष का सबसे शुभ मुहूर्त

आश्विन शुक्ल दशमी के दिन मनाया जाने वाला विजयादशमी का पर्व वर्षा ऋतु के समापन तथा शरद के आरंभ का सूचक है। यह क्षत्रियों का भी बड़ा पर्व है। ब्राहमण सरस्वती पूजन और क्षत्रिय शस्त्र पूजन करते हैं। इस दिन तारा उदय होने का समय विजयकाल कहलाता है। यह मुहूर्त सब कामों को सिद्ध करता है। सायंकाल अपराजिता पूजन, भगवान राम, शिव, शक्ति ,गणेश , सूर्यादि देवताओं का पूजन करके आयुध , अस्त्र शस्त्रों की पूजा करनी चाहिए।

दिनांक 19 को दशमी सायं 17 बजकर 57 मिनट तक रहेगी। वैसे अपराहंकाल , विजया यात्रा का मुहूर्त माना गया है। दुर्गा विसर्जन, अपराजिता पूजन, विजय प्रयाण , शमी पूजन तथा नवरात्रि समापन का दिन है दशहरा।

19 अक्तूबर को सूर्यास्त सायंकाल 17.44 पर होगा। इससे पूर्व ही रावण दहन तथा सरस्वती विसर्जन किया जाना चाहिए ।

विजय मुहूर्त- 13:58 से 14:43

अपराह्न पूजा समय- 13:13 से 15:28

दशमी तिथि आरंभ- 15:28 (18 अक्तूबर)

दशमी तिथि समाप्त- 17:57 (19 अक्तूबर)

सूर्यास्त सायंकाल 17.44 पर

कैसे करें पूजा?

यों तो पूरा दिन ही शुभ है परंतु विजय मुहूर्त दोपहर 13.58 से 14.43 तक विशेष शुभ माना गया है।

प्रातः काल , ईशान दिशा में शुद्ध भूमि पर चंदन, कुमकुम आदि से अष्टदल बनाएं और पूर्ण शोडषोपचार सहित अपराजिता देवी के साथ साथ जया तथा विजया देवियों की भी पूजा करें ।अक्षत अर्पित करते हुए

ओम् अपराजितायै नमः, ओम् क्रियाशक्तौ नमः तथा ओम् उमायै नमः

मंत्रों की एक एक माला करें ।

प्रथम नवरात्रि पर बीजी गई जोै अर्थात खेतरी को तोड़कर पूजा के थाल में रखें और पूजा के बाद घर व दूकान के मंदिर तथा धन स्थान के अलावा पाठ्य पुस्तकों , एकाउंट्स बुक्स आदि में भी में रखें। इस दिन कलम पूजन भी किया जाता है।

दशहरे पर फलों में सेब, अनार तथा ईख – गन्ने घर में अवश्य लाने चाहिए। गन्ना प्राकृतिक मधुरता ,उंचापन तथा हरियाली दर्शाता है जो हर परिवार की आज आवश्यकता है। इसलिए पूजा सामग्री में ईख जरुर रखें ।

दशहरा वर्ष का सबसे शुभ मुहूर्त

इस दिन आप कोई भी शुभ कार्य आरंभ कर सकते हैं । गृह प्रवेश] वाहन या भवन क्रय] नये व्यवसाय का शुभारंभ] मंगनी] विवाह ]एग्रीमेंट आदि ।

इस दिन खासकर खरीददारी करना शुभ माना जाता है जिसमें सोना,चांदी और वाहन की खरीदी बहुत ही महत्वपूर्ण है।

दशहरे का दिन साल के सबसे पवित्र दिनों में से एक माना जाता है।

यह साढ़े तीन मुहूर्त में से एक है (साल का सबसे शुभ मुहूर्त – चैत्र शुक्ल प्रतिपदा, अश्विन शुक्ल दशमी, वैशाख शुक्ल तृतीया, एवं कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा (आधा मुहूर्त))।

यह अवधि किसी भी चीज़ की शुरूआत करने के लिए उत्तम है। हालाँकि कुछ निश्चित मुहूर्त किसी विशेष पूजा के लिए भी हो सकते हैं।

दशहरा का मतलब होता है दसवीं तिथी। पूरे साल में तीन सबसे शुभ घड़ियां होती हैं, एक है चैत्र शुक्ल प्रतिपदा, दूसरी है कार्तिक शुक्ल की प्रतिपदा और तीसरा है दशहरा।

इस दिन कोई भी नया काम शुरू किया जाता है और उसमें अवश्य ही विजय मिलती है। दशहरे के दिन नकारात्मक शक्तियां खत्म होकर आसामान में नई ऊर्जा भर जाती है।

दशहरे पर पूरे दिनभर ही मुहूर्त होते हैं इसलिए सारे बड़े काम आसानी से संपन्न किए जा सकते हैं। यह एक ऐसा मुहूर्त वाला दिन है जिस दिन बिना मुहूर्त देखे आप किसी भी नए काम की शुरुआत कर सकते हैं।

अपराजिता पूजा को विजयादशमी का महत्वपूर्ण भाग माना जाता है, हालाँकि इस दिन अन्य पूजाओं का भी प्रावधान है जो नीचे दी जा रही हैं:

जौै के रंगों में छिपा आपका भविष्य

इस दिन शस्त्र पूजन के अलावा , बही पूजन, कलम पूजन, सरस्वती पूजन तथा सरस्वती विसर्जन किया जाता है।

नवरात्रि में बोई गई खेत्तरी अर्थात जौ को इस दिन प्रातः तोड़ा जाता है और पूजा स्थान के अतिरिक्त इसे घर के शुभ स्थानों पर रखा जाता है। हरी जौ जीवन के हरे भरे होने का प्रतीक एवं कामना है।

इस जौ के रंगों से भविष्य कथन की भी परंपरा है। जौ के रंग देखकर आप अपने भविष्य के बारे अनुमान लगा सकते हैं।

हरा- परिवार में धन धान्य,सुख समृद्धि रहेगी।

सफेद-शुभता रहेगी

काले -निर्धनता, अत्याधिक व्यय की संभावना

नीले- पारिवारिक कलह के संकेत

रक्तवर्ण-रोग व्याधि हो सकता है।

धूम्र- अभाव इंगित करता है।

मिश्रित- काम बने या रुके

टेढ़े- दुर्घटनाएं संभावित ।

रावण दहन पर एक परंपरा के अनुसार , उसके पुतले की जली हुई लकड़ियां धर ले जाना शुभ माना गया है। मान्यता है कि ऐसा करने से घर परिवार पर आने वाला संकट टल जाता है और हर कार्य में विजय प्राप्त होती है।

इसी दिन बाजार से जलेबियां घर ले जाने की भी परंपरा रही है। जलेबी का केसरिया रंग विजय का प्रतीक और मिठास बुराई पर अच्छाई के फलस्वरुप प्रसन्नता मनाने का द्योतक है।

विजयादशमी पर करें ये उपाय

इस दिन कुछ विशेष कार्य करके अपने जीवन को सुखमय बनाया जा सकता है।

सर्वत्र विजय के लिए विजयादशमी के दिन प्रात: सूर्योदय के समय किसी पवित्र नदी के जल से स्नान करें। स्नान के जल में थोड़ा सा चंदन डाल लें। इस जल से स्नान करने से अशुभ ग्रहों की पीड़ा समाप्त होती है और व्यक्ति को हर कार्य में विजय हासिल होती है।

विजयादशमी के दिन हनुमानजी की आराधना का बहुत बड़ा महत्व है।

इस दिन किसी एकांत या निर्जन स्थान के हनुमान मंदिर में जाकर साफ.सफाई करें। हनुमानजी को चोला चढ़ाएं और गुड़ चने का नैवेद्य लगाकर कर्पूर और लौंग से आरती करें। इससे हनुमान का अभीष्ट प्राप्त होता है। फिर किसी कार्य में बाधा नहीं आती। घर के मंदिर में हनुमानजी को शुद्ध देसी घी का रोट प्रसाद में भोग चढ़ाएँ।

धन प्राप्ति का खास उपाय

विजयादशमी के दिन भोजपत्र पर केसर की स्याही और आम की लकड़ी की कलम बनाकर श्रीचक्र बनाएं। इसके चारों ओर केसर से नौ बिंदी लगाकरए पंचोपचार पूजन करए चांदी की डिबिया में भरकर रखें। इससे अखंड लक्ष्मी की प्राप्ति होगी।

कोर्ट केस से मुक्ति

शत्रु परेशान कर रहे हों या कोर्ट में मुकदमा चल रहा हो तो विजयादशमी के दिन शाम के समय भोजपत्र पर शत्रु का नाम लिखकर गूलर वृक्ष की जड़ में चुपचाप दबा आएं।

दशहरा की कथा

पौराणिक मान्यता के अनुसार इस त्यौहार का नाम दशहरा इसलिए पड़ा क्योंकि इस दिन भगवान पुरूषोत्तम राम ने दस सिर वाले आतातायी रावण का वध किया था।

तभी से दस सिरों वाले रावण के पुतले को हर साल दशहरा के दिन इस प्रतीक के रूप में जलाया जाता है ताकि हम अपने अंदर के क्रोध, लालच, भ्रम, नशा, ईर्ष्या, स्वार्थ, अन्याय, अमानवीयता एवं अहंकार को नष्ट करें।

महाभारत की कथा के अनुसार दुर्योधन ने जुए में पांडवों को हरा दिया था। शर्त के अनुसार पांडवों को 12 वर्षों तक निर्वासित रहना पड़ा, जबकि एक साल के लिए उन्हें अज्ञातवास में भी रहना पड़ा।

अज्ञातवास के दौरान उन्हें हर किसी से छिपकर रहना था और यदि कोई उन्हें पा लेता तो उन्हें दोबारा 12 वर्षों का निर्वासन का दंश झेलना पड़ता।

इस कारण अर्जुन ने उस एक साल के लिए अपनी गांडीव धनुष को शमी नामक वृक्ष पर छुपा दिया था और राजा विराट के लिए एक ब्रिहन्नला का छद्म रूप धारण कर कार्य करने लगे।

एक बार जब उस राजा के पुत्र ने अर्जुन से अपनी गाय की रक्षा के लिए मदद मांगी तो अर्जुन ने शमी वृक्ष से अपने धनुष को वापिस निकालकर दुश्मनों को हराया था।

एक अन्य कथानुसार जब भगवान श्रीराम ने लंका की चढ़ाई के लिए अपनी यात्रा का श्रीगणेश किया तो शमी वृक्ष ने उनके विजयी होने की घोषणा की थी।

– मदन गुप्ता सपाटू , ज्योतिर्विद्

लेख साभार :- Dailyhunt

देखें हनुमानजी की पूजा विधि: https://youtu.be/6z5PqxAB0Q0

ये भी देख सकते हैं: https://youtu.be/3PS8EoiI0tM

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