एक कहानी बचपन में पढ़ी थी कि एक बार अंधकार, भगवान के पास शिकायत करने गया कि जब भी मैं
हरतालिका व्रत भाद्रपद, शुक्ल पक्ष की तृतीया के दिन किया जाता है। इस बार हरतालिका तीज 1 व 2 सितंबर
माता पिता को अपने पुत्र के लिए बड़ी चिन्ता रहती है, परन्तु पुत्रैषणा के साथ ही अनेक वासनाएँ भी आती