श्री मृत्युंजयस्तोत्रम् के गुप्त दिव्य मंत्र

साधकों के लिये ये हैं श्री मृत्युंजयस्तोत्रम् के गुप्त दिव्य मंत्र जो जापकर्ता को अकाल मृत्यु से बचायेंगे…

रुद्रं पशुपतिं स्थाणुं नीलकण्ठमुमापतिम्।

नमामि शिरसा देवं किं नो मृत्युः करिष्यति।।

‘रु’अर्थात दुख को दूर करने के कारण जिन्हें रूद्र कहते हैं जो जीवरूपी पशुओं का पालन करने से पशुपति, स्थिर होने से स्थाणु, गले में नीला चिन्ह धारण करने से नीलकंठ, और भगवती उमा के स्वामी होने से उमापति नाम धारण करते हैं, भगवान शिव को मैं मस्तक झुकाकर प्रणाम करता हूं। मृत्यु मेरा क्या कर लेगी।

कालकण्ठं कलामूर्तिं कालग्निं कालनाशनम्।

नमामि शिरसा देवं किं नो मृत्युः करिष्यति।।

जिन के गले में काला दाग है जो कला मूर्ति, कालग्निस्वरूप और काल के नाशक हैं, उन भगवान शिव को मैं प्रणाम करता हूं। मृत्यु मेरा क्या कर लेगी।

नीलकण्ठं विरूपाक्षं निर्मलं निरुपद्रवम्।

नमामि शिरसा देवं किं नो मृत्युः करिष्यति।।

जिनका कंठ नील और नेत्र विकराल होते हुए भी जो अत्यंत निर्मल और उपद्रवरहित हैं,उन भगवान शिव को मैं मस्तक झुकाकर प्रणाम करता हूं। मृत्यु मेरा क्या कर लेगी।

वामदेवं महादेवं लोकनाथं जगदगुरुम्।

नमामि शिरसा देवं किं नो मृत्युः करिष्यति।।

जो वामदेव, महादेव, विश्वनाथ और जगतगुरु नाम धारण करते हैं उन भगवान शिव को मैं मस्तक झुकाकर प्रणाम करता हूं। मृत्यु मेरा क्या कर लेगी।

देवदेवं जगन्नाथं देवेशमृषभध्वजम्।

नमामि शिरसा देवं किं नो मृत्युः करिष्यति।।

जो देवताओं के भी आराध्य देव जगत के स्वामी और देवताओं पर भी शासन करने वाले हैं, जिन की ध्वजा पर वृषभ का चिन्ह है, उन भगवान शिव को मैं मस्तक झुकाकर प्रणाम करता हूं। मृत्यु मेरा क्या कर लेगी ॽ।

अनन्तमव्ययं शान्तमक्षमालाधरं हरम्।

नमामि शिरसा देवं किं नो मृत्युः करिष्यति।।

जो अनन्त, अविकारी, शांत रुद्राक्ष माला धारी और सब के दुखों का हरण करने वाले हैं, भगवान शिव को मैं मस्तक झुकाकर प्रणाम करता हूं। मृत्यु मेरा क्या कर लेगी।

आनन्दं परमं नित्यं कैवल्यपदकारणम्।

नमामि शिरसा देवं किं नो मृत्युः करिष्यति।।

जो परम आनंद स्वरूप नित्य एवं कैवल्यपद-मोक्ष की प्राप्त के कारण हैं, भगवान शिव को मैं मस्तक झुकाकर प्रणाम करता हूं। मृत्यु मेरा क्या कर लेगीॽ।

स्वर्गापवर्गदातारं सृष्टिस्थित्यन्तकारिणम्।

नमामि शिरसा देवं किं नो मृत्युः करिष्यति।।

जो स्वर्ग और मोक्ष के दाता तथा सृष्टि पालन और संहार के करता है, भगवान शिव को मैं मस्तक झुकाकर प्रणाम करता हूं। मृत्यु मेरा क्या कर लेगी ।

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