पुत्रैषणा त्यागें, अपना पिंडदान जीते जी स्वयं करें
माता पिता को अपने पुत्र के लिए बड़ी चिन्ता रहती है, परन्तु पुत्रैषणा के साथ ही अनेक वासनाएँ भी आती
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Read moreधर्म की संस्थापना के लिये श्रीविष्णु हर महायुग में दश अवतार लेते हैं,जिनमें अन्तिम तो महायुग के अन्त में आते
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