अधिक पूजा पाठ करने वाले अधिक दुखी क्यों?

हमे मिलने वाले सुख या दुख का कारण भगवान नही अपितु हम ही हैं। हमारे कर्म ही हमें सुख दुख

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लोकालोक दर्शन

धर्म की संस्थापना के लिये श्रीविष्णु हर महायुग में दश अवतार लेते हैं,जिनमें अन्तिम तो महायुग के अन्त में आते

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