Ahinsa
मानवता के शत्रु असुरों का दलन हिंसा नहीं कहलाती, यह तो यज्ञ है | असली वैष्णव तो वे हैं जो विष्णु भगवान के श्रीराम और श्रीकृष्ण जैसे अवतारों के मार्ग पर चलें | अत्याचार सहना अहिंसा नहीं है, क्योंकि अत्याचारी का मनोबल बढ़ाना हिंसा को प्रोत्साहन ही है |
एक चाँटा खाकर दूसरा गाल बढ़ाना अहिंसा नहीं, कायरता है | हृदय-परिवर्तन उसी का सम्भव है जिसमे कुछ सात्विक संस्कार बचे हों, वरना भगवान के प्रवचन से भी रावण और दुर्योधन नहीं सुधरते |
कलियुग में संघ ही शक्ति है |
अतः राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की शक्ति बढ़ाइए, और सनातन धर्म के संस्कारों तथा ऋषियों की विचारधारा से संघ को अधिकाधिक पूरित कीजिये | सुधार का कहीं अन्त नहीं होता | हिन्दुओं को सुधार स्वयं से आरम्भ करना चाहिए | जो स्वयं नहीं सुधरना चाहते उनको कोई अधिकार नहीं है दूसरों को सुधारने का | संघ की शाखाएं सन्ध्यावन्दन से आरम्भ हो इसके लिए मांग उठाइये | संघ के सभी कार्यालयों में श्रीराम और श्रीकृष्ण आदि के चित्र लगे रहने चाहिए, जैसा पहले होता था, अब हर जगह नहीं होता है | हर गाँव और नगरों के हर मुहल्ले में संघ की शाखाएं लगाइए | शाखाओं में शारीरिक, मानसिक एवं आध्यात्मिक प्रशिक्षण नियमित रूप से हो इसकी व्यवस्था कराइए | JNU के तथाकथित बुद्धिजीवियों से वैचारिक बहस का सामर्थ्य हर स्वयंसेवक में हो यह लक्ष्य होना चाहिए |
संघ में भी इसी कलियुगी समाज से कई लोग गए हैं, अतः यदि ऐसा सम्भव न हो तो पृथक स्थानीय संगठन खोल सकते हैं जिनको बाद में संघ से जोड़ सकते हैं |
संघ से बाहर के अच्छे लोगों को वैचारिक और संगठनात्मक रूप से संघ या अनुषंगी संगठनों से जोड़ने का प्रयास करें | यह मानसिकता नहीं रखें कि जो संघ से सीधे तौर पर जुड़े नहीं हैं वे पराये हैं, वैसे लोगों में भी एक से बढ़कर एक देशभक्त और बुद्धिजीवी मिल जायेंगे | मैं भी किसी संगठन का सदस्य न तो हूँ और न ही बनूंगा, क्योंकि मेरा प्रमुख कार्यक्षेत्र शोधकार्य है जिसके लिए एकान्त आवश्यक है |
अन्धभक्तों को सभी संगठनों से निकाल बाहर करें, ये लोग कब अपने ही गोल में गेन्द डालेंगे इसका कोई भरोसा नहीं | कहावत है कि मूर्ख मित्र से बेहतर बुद्धिमान शत्रु होता है, क्योंकि बुद्धिमान को समझाकर राह पर लाना सम्भव है, किन्तु मूर्ख कब क्या करेगा यह भगवान भी नहीं जानते !
… … भगवान सचमुच नहीं जानते, क्योंकि मनुष्य को कर्म करने की छूट भगवान ने ही दी है, अतः मनुष्य कब क्या करेगा यह तो मनुष्य ही न जानता है !! किन्तु मूर्ख क्या करेगा यह न तो वह स्वयं जानता है और न उसका भगवान !!
कुछ नेताओं में भाड़े के अन्धभक्त रखकर अपने नाम का जयकारा लगवाने की प्रवृति होती है, उनपर संघ का अंकुश लगे इसका प्रयास होते रहना चाहिए, वरना हिन्दुत्व कब फासिज्म बन जाएगा यह तब पता चलेगा जब वापसी का मार्ग बन्द हो जाएगा |
सच्चे हिन्दुओं को संघ में भरिये, उसमें बड़ी संख्या में नकली हिन्दू भी घुसे हुए हैं | किन्तु असली हिन्दू भी हैं |