नवरात्रि में क्यों करते हैं घटस्थापना

नवरात्रि में घटस्थापना का बहुत महत्व होता है। नवरात्रि की शुरुआत घटस्थापना से की जाती है। शुभ मुहूर्त में कलश स्थापित किया जाता है।

घटस्थापना प्रतिपदा तिथि के पहले एक तिहाई हिस्से में कर लेनी चाहिए। इसे ‘कलश स्थापना’ भी कहते हैं।

कलश को सुख- समृद्धि, ऐश्वर्य देने वाला तथा मंगलकारी माना जाता है। कलश के मुख में भगवान विष्णु, गले में रुद्र, मूल में ब्रह्मा तथा मध्य में देवी शक्ति का निवास माना जाता है। नवरात्रि के समय ब्रह्मांड में उपस्थित शक्तियों का घट में आह्वान करके उसे कार्यरत किया जाता है। इससे घर की सभी विपदादायक तरंगें नष्ट हो जाती हैं तथा घर में सुख-शांति तथा समृद्धि बनी रहती है।

घटस्थापना की सामग्री : जौ बोने के लिए मिट्टी का पात्र, यह वेदी कहलाती है। जौ बोने के लिए शुद्ध साफ की हुई मिट्टी जिसमें कंकर आदि न हो।

पात्र में बोने के लिए जौ (गेहूं भी ले सकते हैं), घटस्थापना के लिए मिट्टी का कलश (सोने, चांदी या तांबे का कलश भी ले सकते हैं।), कलश में भरने के लिए शुद्ध जल, गंगाजल, रोली, मौली, इत्र व पूजा में काम आने वाली साबुत सुपारी, दूर्वा, कलश में रखने के लिए सिक्का (चांदी या सोने का सिक्का भी रख सकते हैं)।

पंचरत्न (क्षमता अनुसार : हीरा, नीलम, पन्ना, माणक और मोती), पीपल, बरगद, जामुन, अशोक और आम के पत्ते (सभी न मिल पाए तो कोई भी 2 प्रकार के पत्ते ले सकते हैं), कलश ढंकने के लिए ढक्कन (मिट्टी का या तांबे का), ढक्कन में रखने के लिए साबुत चावल, नारियल, लाल कपड़ा, फूल माला, फल तथा मिठाई, दीपक, धूप, अगरबत्ती आदि लें।

* नवरात्रि में घर पर कैसे करें घटस्थापना ????

सबसे पहले जौ बोने के लिए एक ऐसा पात्र लें जिसमें कलश रखने के बाद भी आसपास जगह रहे। यह पात्र मिट्टी की थाली जैसा कुछ हो तो श्रेष्ठ होता है। इस पात्र में जौ उगाने के लिए मिट्टी की एक परत बिछा दें। मिट्टी शुद्ध होनी चाहिए। पात्र के बीच में कलश रखने की जगह छोड़कर बीज डाल दें, फिर एक परत मिट्टी की बिछा दें। एक बार फिर जौ डालें। फिर से मिट्टी की परत बिछाएं। अब इस पर जल का छिड़काव करें।

कलश तैयार करें। कलश पर स्वस्तिक बनाएं। कलश के गले में मौली बांधें। अब कलश को थोड़े गंगाजल और शुद्ध जल से पूरा भर दें। कलश में साबुत सुपारी, फूल और दूर्वा डालें। कलश में इत्र, पंचरत्न तथा सिक्का डालें। अब कलश में पांचों प्रकार के पत्ते डालें। कुछ पत्ते थोड़े बाहर दिखाई दें, इस प्रकार लगाएं। चारों तरफ पत्ते लगाकर ढक्कन लगा दें।

इस ढक्कन में अक्षत यानी साबुत चावल भर दें। नारियल तैयार करें। नारियल को लाल कपड़े में लपेटकर मौली बांध दें। इस नारियल को कलश पर रखें। नारियल का मुंह आपकी तरफ होना चाहिए। यदि नारियल का मुंह ऊपर की तरफ हो तो उसे रोग बढ़ाने वाला माना जाता है। नीचे की तरफ हो तो शत्रु बढ़ाने वाला मानते हैं। पूर्व की ओर हो तो धन को नष्ट करने वाला मानते हैं। नारियल का मुंह वह होता है, जहां से वह पेड़ से जुड़ा होता है। अब यह कलश जौ उगाने के लिए तैयार किए गए पात्र के बीच में रख दें। अब देवी- देवताओं का आह्वान करते हुए प्रार्थना करें कि ‘हे समस्त देवी-देवता, आप सभी 9 दिन के लिए कृपया कलश में विराजमान हों।’

आह्वान करने के बाद ये मानते हुए कि सभी देवतागण कलश में विराजमान हैं, कलश की पूजा करें। कलश को टीका करें, अक्षत चढ़ाएं, फूलमाला अर्पित करें, इत्र अर्पित करें, नैवेद्य यानी फल-मिठाई आदि अर्पित करें। घटस्थापना या कलश स्थापना के बाद देवी मां की चौकी स्थापित करें।

नवरात्रि कलश स्थापना शुभ मुहूर्त 10 अक्टूबर 2018 को बुधवार के दिन होगा। इस बार कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त सिर्फ एक घंटे दो मिनट तक ही रहेगा। कलश स्थापना मुहूर्त सुबह 06:22 से 07:25 तक रहेगा। शुभ मुहूर्त में कलश स्थापना के लिए आपको मंगलवार को ही सारी तैयारियां कर लेनी चाहिए।

साभार:- पंडित कृष्ण दत्त शर्मा

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