सिद्धि नहीं मिलती तो कमी हमारी ही है

सिद्धि नहीं मिलती तो कमी हमारी ही है, किसी अन्य की नहीं …..

जब अरुणिमा की एक झलक दूर से मिलती है तब यह भी सुनिश्चित है कि सूर्योदय में अधिक विलम्ब नहीं है| भगवान से कुछ माँगना ही है तो सिर्फ उनका प्रेम ही माँगना चाहिए, फिर सब कुछ अपने आप ही मिल जाता है| हमें अपने ‘कर्ता’ होने के मिथ्या अभिमान को त्याग देना चाहिए|

एकमात्र कर्ता तो जगन्माता माँ भगवती स्वयं है जो यज्ञ रूप में हमारे कर्मफल परमात्मा को अर्पित करती है| वे ‘कर्ता’ ही नहीं ‘दृष्टा’ ‘दृश्य’ व ‘दर्शन’ भी हैं, ‘साधक’ ‘साधना’ व ‘साध्य’ भी हैं, और ‘उपासना’ ‘उपासक’ व ‘उपास्य’ भी हैं| उनको पूर्ण रूपेण समर्पित होना ही सबसे बड़ी सिद्धि है|

भागवदगीता में भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं …..
मच्चित्तः सर्वदुर्गाणि मत्प्रसादात्तरिष्यसि| अथ चेत्त्वमहङ्कारान्न श्रोष्यसि विनङ्क्ष्यसि||१८:५८||
अर्थात् अपना चित्त मुझे दे देने से तूँ समस्त कठिनाइयों और संकटों को मेरे प्रसाद से पार कर लेगा| परंतु यदि तूँ मेरे कहे हुए वचनों को अहंकार वश नहीं ग्रहण नहीं करेगा तो नष्ट हो जायगा|

वाल्मीकि रामायण में भगवान श्रीराम का भी अभय वचन है ….
सकृदेव प्रपन्नाय तवास्मीति च याचते| अभयं सर्वभूतेभ्यो ददाम्येतद् व्रतं ममः||६:१८:३३||
अर्थात् जो एक बार भी मेरी शरण में आ जाता है उसको सब भूतों (यानि प्राणियों से) अभय प्रदान करना मेरा व्रत है|

जब साकार परमात्मा के इतने बड़े वचन हैं तो शंका किस बात की? तुरंत कमर कस कर उनके प्रेम सागर में डुबकी लगा देनी चाहिए| मोती नहीं मिलते हैं तो दोष सागर का नहीं है, दोष डुबकी में ही है, डुबकी में ही पूर्णता लाओ|

उनकी कृपा से सब कुछ संभव है …..
मूकं करोति वाचालं पंगुं लंघयते गिरिम्| यत्कृपा तमहं वन्दे परमानन्दमाधवम्||
जिनकी कृपा से गूंगे बोलने लगते हैं, लंगड़े पहाड़ों को पार कर लेते हैं, उन परम आनंद स्वरुप श्रीमाधव की मैं वंदना करता हूँ||

भगवान ही हमारे माता-पिता, बंधू-सखा व सर्वस्व हैं| उन्हीं को सब कुछ समर्पित कर देना चाहिए…
त्वमेव माता च पिता त्वमेव, त्वमेव बन्धुश्च सखा त्वमेव|
त्वमेव विद्या च द्रविणम त्वमेव, त्वमेव सर्वमम देव देवः||

यह उन्हीं का कार्य है, पर जब तक कण मात्र भी कर्ताभाव है, तब तक करना तो हमें ही पड़ेगा| परमात्मा के सर्वश्रेष्ठ साकार रूप आप सब को सप्रेम नमन !

ॐ तत्सत् ! ॐ ॐ ॐ !!

– कृपा शंकर

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *