स्वयं श्रीगणेश की वाणी है गणेश गीता

श्रीगणेश जी ने राजा वरेण्य को जो उपदेश दिए वे गणेश गीता कहलाते हैं। राजा वरेण्य मुमुक्षु स्थिति में थे

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श्री गणेश तत्त्व और महोत्सव

भगवान गणेश का प्राकट्य भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी तिथि को हुआ था– नभस्ये मासि शुक्लायाम् चतुर्थ्याम् मम जन्मनि। दूर्वाभि: नामभिः पूजां

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श्रीगणेश गीता में योग

वरेण्य उवाच किं सुखं त्रिषु लोकेषु देवगन्धर्वयोनिषु । भगवन् कृपया तन्मे वद विद्या विशारद ।।२०।। अर्थ:- वरेण्य बोले – भगवन्

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