मानव देह के भीतर की संध्या उपासना कैसे
संध्याकाल ….. दो श्वासों के मध्य का संधिकाल “संध्या” कहलाता है जो परमात्मा की उपासना का सर्वश्रेष्ठ अबूझ मुहूर्त है
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Read more९ मार्च, १९३६ सोमवार, सायंकाल के पाँच बजने वाले थे। जगन्नाथपुरी के अपने आश्रम में ८१ वर्षीय स्वामी श्रीयुक्तेश्वर गिरी
Read moreपुराण-पुरुष योगिराज श्री श्री श्याचरण लाहिड़ी महाशय (३० सितम्बर १८२८ – २६ सितम्बर १८९५ ) की आज १२३ वीं पुण्यतिथि
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