इस बार सूर्यग्रहण है खास, बरतें ये सावधानियाँ

इस रविवार २१ जून को हर हाल में 10 am-2 pm के दौरान कृपया घर के अंदर ही रहें, किसी भूलवश, प्रमाद अथवा आमोद प्रमोद, सैर सपाटे के हेतु बाहर निकलने का न सोचें, चाहे कोई कुछ भी कहे।

सूर्य ग्रहण का सूतक शनिवार की रात्रि 10 बजे से है। उस समय से ग्रहण की समाप्ति अर्थात रविवार 2 बजे तक पूजागृह अथवा मंदिर के कपाट बंद ही रखने होंगे। रविवार को प्रातः आप स्नानोपराँत अपना ध्यान, मानसिक पूजन व जप आदि कर सकते हैं। बस ग्रहण समाप्ति तक मंदिर या भग़वान के विग्रह के समक्ष पूजा पाठ न करें।

प्रातः से दोपहर 2 बजे तक न खाएँ तो अति उत्तम, अन्यथा बूढ़े, बीमार और अवयस्क बच्चे इस दौरान भोजन खा सकते हैं। ग्रहण के दौरान खाने से तो जहां तक सम्भव हो अवश्य बचें। ग्रहण की समाप्ति पर घर के सदस्य पुनः पवित्र होकर (स्नानोपराँत) अपनी राशि के अनुसार पहले से लाकर रखा हुआ दान व दक्षिणा को संकल्प करके, हाथ लगाकर अपने सफ़ाई कर्मचारी अथवा घरेलू सहायक सहायिका को दें। यह दान पंडितजी को नहीं दिया जाता है। जब सायंकाल में मंदिर के कपाट खोलें तो भगवान के विग्रह को स्नान व पंचोपचार या षोडोशोपचार के उपरान्त ही अपनी पूजा अर्चना करें।

शनिवार रात्रि को बहुत भारी या गरिष्ठ भोजन से बचें। बचे हुए भोजन व तेल घी में रात्रि 10 बजे सूतक से पहले ही तुलसी जी की पत्तियाँ डालकर रखें व ग्रहण के दिन यदि 2 बजे के बाद ही स्नान व दान दक्षिणा करके भोजन बनाकर खाएँ तो सबसे उत्तम रहेगा।

इस ग्रहण को किसी के द्वारा मात्र खगोलीय घटना बताने पर अनावश्यक बाहर निकलकर देखने का प्रयास न करें क्यूँकि वो एक क्षणिक आनंद मात्र ही दे सकता है पर किसी किसी के लिये ये ग्रहण अत्यंत हानिकारक होगा। ये ग्रहण दूरगामी परिणाम व ख़तरे लाएगा। समय कठिन है अतः बेहतर होगा कि कुछ घंटों की यह सावधानी अवश्य बरत लें जिसमें आपका कुछ नहीं जायेगा, कल्याण ही होगा। जिस प्रकार का और जिन नक्षत्रों व जिन परिस्थितियों में इस बार का सूर्य ग्रहण पड़ रहा है उसमें सावधानी तो आवश्यक है ही, साथ ही साथ सबसे अधिक लाभ होगा यदि इस दौरान ध्यान व जप अधिक से अधिक किया जाये, चाहे अकेले करें या परिवार के साथ करें। सामूहिक रूप से अपने रिश्तेदारों, पड़ोसीयों या मित्रों के साथ मिलकर हनुमान चालीसा का ११ बार जाप कर सकते हैं। इन सब कार्यों से उसका लाभ कई गुना बढ़ जायेगा अतः अधिक से अधिक, अथवा जो आपके लिये सम्भव हो वो करें। भजन कीर्तन भी कर सकते हैं।

अमावस्या के अपने महत्व के अतिरिक्त इस बार रविवार को ही पड़ने वाले रवि अर्थात सूर्य भगवान के ग्रहण का दूरगामी प्रभाव निश्चित है। इस से अगले 15 दिनों में कहीं कहीं भूकम्प, युद्ध, दंगे या कोई अन्य दैविय आपदा जैसे तूफ़ान या अत्यधिक जलवृष्टि अर्थात बारिश व बाढ़ का भी प्रकोप झेलना पड़ सकता है। किसी राजनेता की असामयिक मृत्यु या जनता में असंतोष भी हो सकता है। पर आपको बिना चिंतित हुए इस अभूतपूर्व मौक़े का लाभ कैसे उठा सकें, इस पर ही ध्यान देना चाहिये क्योंकि ये आपके अपने हाथ में है।

और हाँ, एक अंतिम बात यदि घर में कोई टूटे फूटे बेकार वस्तुएँ हैं तो आज और कल के भीतर ठीक कराएँ अथवा उनसे मुक्ति पाएँ जैसे दर्पण, रुकी या ख़राब घड़ियाँ, फ़ोन, कम्प्यूटर, अन्य इलेक्ट्रिक इलेक्ट्रॉनिक आइटम, टूटे बर्तन, खिलौने इत्यादि अन्यथा ये बहुत नेगेटिव एनर्जी के सम्प्रेषण का कारण बनेंगे।

ध्यान रहे ये सब आस्थावान व्यक्तियों को सावधान व सचेत करने के लिए है जिससे वे जाने अनजाने या भूलवश अपना अनिष्ट न कर बैठें। जिनको आस्था नहीं है उनके लिए कोई प्रतिबंध नहीं है। वे अपना उन्मुक्त जीवन जीने के लिए स्वतंत्र हैं।

– नीरज सक्सेना

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *