प्रारब्ध और पुरुषार्थ
मनुष्यका निश्चय एक होना चाहिए और वह परमात्माकी तरफ ही हो सकता है , क्योंकि वह एक है । संसारमें
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Read moreजो कुछ भी शास्त्रों के अनुसार हो, वही आदर्श तथा लाभदायक सिद्ध होता है । यदि श्रीगणेशजी की मूर्ति मूर्तिविज्ञान
Read more“माता मैं आ रहा हूँ”- कंस के कारागार में बंद देवकी के कानों में एकाएक यह कैसा, किसका मिश्री सम
Read moreद्रोणाचार्य सरीखे शास्त्रज्ञ गुरु भी धर्म का तत्व नहीं समझ पाए। भीष्म पितामह जैसे धर्म सम्राट को भी धर्म का
Read moreजब स्त्री के अंडाणु और पुरुष के शुक्राणु का संयोग होता है उस समय सूक्ष्म जगत में एक विस्फोट सा
Read moreमनुष्य शाकाहारी परिवार प्राइमेट्स से निकला है । अतः फल और सब्जियाँ मनुष्य का प्राकृतिक आहार है । जितना कम
Read moreजीवन की वर्तमान उलझनों को किसी भी मात्रा अथवा कोटि के कर्म के माध्यम से पूर्णतया दूर नहीं किया जा
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Read moreद्वितीय वसुमंडल ************* इस मण्डल में लगभग दो प्रकार के लोग हैं, पहले तो जो यहाँ के मूल निवासी हैं
Read moreप्रभुश्रीराम के राज्याभिषेक के समय वेदों द्वारा की गई प्रभुश्रीराम की स्तुति (भावार्थ सहित)। मित्रों, बहुत बहुत फलदायी स्तुति है,
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