मुझे श्री कृष्ण ही चाहिए

(श्री अर्जुन द्वारा श्री कृष्ण का चयन क्यों?) विराट नगर में श्री अर्जुन संध्या वन्दन कर अभी आसन पर ही

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हिन्दू जीवन पद्धति – भाग २

***( भोजन संविभाग )*** सनातनहिन्दूधर्म में भोजन का भी संविभाग और विभेद विस्तार के साथ किया गयाहै।सर्वमन्ने प्रतिष्ठितम्,सर्वमन्न- मयं जगत्

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हिन्दू जीवन पद्धति

जो व्यक्ति अपने चौबीस घण्टे की जिन्दगी को साध लेता है वह सफलहो जाता है,क्योंकि इसी चौबीस घण्टेमें क्रम पूर्वक

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क्या जूठे भोजन से प्रेम बढ़ता है ?

जूठे भोजन से प्रेम तो नहीं बढ़ता ,हाँ रोग अवश्य हो सकते हैं । यहां तक हमने जूठे का अनुभव

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मकर संक्रांति की महत्ता

“मकर संक्रांति का संबंध अँग्रेजी कैलेंडर की तिथि से न होकर सूर्य के रिलेटिव मोशन से है। इस संदर्भ में

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मन, बुद्धि, चित्त, प्राण, तन्मात्राओं तथा इन्द्रियों में अंतर और इनका सम्बन्ध

नए नवेले अध्यात्म की ओर आने वाले लोगों को लगता है कि मन की शक्ति सबसे बड़ी है, जबकि ऐसा

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क्या ईश्वर का अस्तित्व है ?

आज के अधिकतर युवाओं का यही प्रश्न होता है । वे प्रत्यक्ष को प्रमाण मानते हैं ,किन्तु वे ये नहीं

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धर्म और मननुसार कर्म में अंतर समझें और शास्त्र मर्यादा का अतिक्रमण न करें

बहुत से लोग (विशेषकर आज के नए नवेले मनमौजे सम्प्रदायों वाले) ऐसी बातें करते हैं कि हमें तो सन्ध्या गायत्री

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हिंदू शास्त्रानुसार सदाचार के १० नियम

विचारों में अपवित्रता होना भी किसी पाप से कम नहीं। हिंदू शास्त्र में मनुष्य जीवन से संबंधित ऐसी कई बातें

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